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एक समय था जब पूर्वोत्तर के सातों राज्यों की राजधानी शिलांग हुआ करती थी. तब इसे नेफा प्रांत के नाम से जाना जाता था.
प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर 5000 फुट की ऊँचाई वाला पहाड़ी स्थल शिलांग मेघालय के अन्य स्थानों से बिल्कुल अलग हैं. शिलांग में स्काटलैंड की पहाडि़यों से काफी समानता पाई जाती है इसीलिए इस शहर को ‘पूर्व का स्काटलैंड’ भी कहा जाता है. यह जगह, यहां के लोग, यहां के फूल-पौधे, यहां की वनस्पतियां, यहां की जलवायु सारी चीजें मिलाकर शिलांग को एक आदर्श विश्राम व पर्यटक स्थल बनाती हैं.
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कुछ प्रमुख पर्यटक स्थल इस प्रकार हैं जिन्हें शिलांग जाने पर अवश्य देखना चाहिए:
वाडर्स लेक
शिलांग में एक खूबसूरत सी झील है जिसे वाडर्स लेक के नाम से जाना जाता है. यह शहर के बीचोबीच है. इस झील का पानी इतना साफ है कि अंदर से तैरती मछलियां नजर आती हैं. यहां पर नौका विहार कर सकते हैं. इससे साथ ही जुड़ा बोटैनिकल गार्डन भी अवश्य देखें.
लेडी हैदरी पार्क व मिनी जू
यह पार्क भी शिलांग शहर में ही है. बच्चों के लिए यहां पर एक मिनी जू भी है साथ ही एक खूबसूरत झरना और स्वीमिंग पूल भी. साथ ही एक रेस्तरां भी है जहां पर्यटकों के लिए शाम को कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
पोलो ग्राउंड
शिलांग में पोलो ग्राउंड अपनी एक अलग ही विशिष्टता के लिए प्रसिद्ध है. यहां पर तीर का खेल खेला जाता है. इस खेल के जरिये खासी जनजाति के लोग आज भी अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जुड़े प्रतीत होते हैं.
शिलांग गोल्फ कोर्स
यह भी शिलांग शहर में है और भारत का तीसरा सबसे बड़ा और सबसे पुराना 18 होल का गोल्फ कोर्स है. इसको पूर्व का ‘ग्लैनईगल’ कहा जाता है.
मेघालय स्टेट म्यूजियम
शिलांग जाने पर स्टेट म्यूजियम अवश्य देखना चाहिए क्योंकि यहां पर मेघालय राज्य के लोगों के सांस्कृतिक जीवन और मानवजातीय अध्ययन से जुड़ी वस्तुएं रखी हुई है. इस संग्रहालय के ठीक सामने सबसे पुराना सेंट कैथोलिक चर्च भी है.
चेरापूंजी और एलीफेंटा फाल
शिलांग जाकर अगर चेरापूंजी नहीं गए तो आपने कुछ नहीं देखा. पूरी दुनिया में सबसे अधिक बारिश यही पर होती है. यह शिलांग से 56 किलोमीटर दूर पर है. यहां जाने के लिए शिलांग से सवेरे निकलकर शाम तक घूमकर लौटा जा सकता है.
चेरापूंजी जाने वाले रास्ते में ही एलीफेंटा फाल पड़ता है. इस तरह एक दिन में यह दोनों जगह देखी जा सकती हैं. एलीफेंटा फाल शिलांग से बारह किलोमीटर दूर है. इस झरने को पास से देखने के लिए एक लकड़ी के पुल से होकर सीढि़यों से नीचे तक जाना होता है.
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