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बम-बम भोले की गूंज और पीछे चलता भक्तों का झुण्ड. घाटी के शांति में जब शिव भक्त बम-बम बोलते जाते हैं तो ऐसा लगता है कि खुद पर्वत भी बम भोले की पुकार कर रहे हैं. भारत में आस्था रोम-रोम में बसती है और भगवान शिव के भक्त तो कावंड़ से लेकर अमरनाथ तक अपनी भक्ति को दर्शाते हैं.
कब शुरू होती है यात्रा
अमरनाथ यात्रा अमूमन जुलाई और अगस्त के महीने में होती है.इस वर्ष यह यात्रा 1 जुलाई से शुरू होकर 24 अगस्त तक जारी रहेगी. अमरनाथ यात्रा को उत्तर भारत की सबसे पवित्र तीर्थयात्रा माना जाता है.वैसे तोअमरनाथ गुफा तक पहुंचने का रास्ता बहुत कठिन है, यह लगभग 14,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है अमरनाथ गुफा में हर साल सावन महीने में प्राकृतिक रूप से बर्फ का शिवलिंग बनता है जो विश्व में अपनी तरह का एकमात्र बर्फ का शिवलिंग है . भूविज्ञानियों के अनुसार यह बर्फ की बनी साधारण आकृति है पर श्रद्धालुओं ने इसे आस्थावश शिवलिंग का रूप दे दिया है.
पावन श्रद्धा स्थल अमरनाथ
किंवदंतियों के अनुसार माता पार्वती ने एक बार भगवान शंकर से अनुरोध किया कि वह मानव को अमरता प्रदान बनाने वाला मंत्र उन्हें सिखाएं. शिवजी नहीं चाहते थे कि उस ज्ञान को पार्वती के सिवा कोई अन्य नश्वर प्राणी सुने, पर वह पार्वती का अनुरोध भी टाल नहीं सकते थे. इसलिए उन्होंने पार्वती को वह मंत्र बताने के लिए हिमालय में एक निर्जन गुप्त स्थल चुना. मान्यता है कि पवित्र अमरनाथ गुफा वही गुप्त स्थल है. आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखों लोग यहां आते हैं.
कैसे जाएं
अमर नाथ यात्रा के लिए आप अलग-अलग दो रास्तों से जा सकते हैं. पहला, पहलगाम से और दूसरा सोनमर्ग बलटाल से. पहलगाम तक जाने के लिए जम्मू-कश्मीर पर्यटन केंद्र से सरकारी बस की सुविधा मौजूद है. पहलगाम में गैर सरकारी संस्थाओं की ओर से लंगर की व्यवस्था की जाती है. तीर्थयात्रियों की पैदल यात्रा पहलगाम से ही आरंभ होती है जो चंदनबाड़ी, शेषनाग, पंचतरणी और फिर अमरनाथ गुफा तक पहुंचती है.
बलटाल जम्मू से लगभग 400 किलोमीटर दूर है. जम्मू से उधमपुर के रास्ते बलटाल के लिए जम्मू कश्मीर पर्यटक स्वागत केंद्र की बसों से जा सकते हैं. तीर्थयात्री बलटाल कैंप से एक दिन में अमरनाथ गुफा की यात्रा कर वापस कैंप में आ सकते हैं.
दुर्गम पहाडियां, खराब मौसम, खाई, बारिश, बर्फ और अन्य समस्याओं से जूझने के उपरांत भी श्रद्धालुओं की आस्था में कोई कमीं नहीं आती. गुफा पर पहुंचने पर असीम शांति का अनुभव होता है. आस्था और रोमांच से भरी इस यात्रा का वर्णन शब्दों से तो किया ही नहीं जा सकता.
क्या सावधानी रखें
इस यात्रा पर अगर आप या आपके कोई संगे-सबंधी जा रहे हैं तो निम्न बातों का ख्याल अवश्य रखें जैसे :
इस तरह हम आशा करते हैं कि आप भगवान शिव के इस भक्तिमयी रुप और अमरनाथ यात्रा का भरपूर आनंद उठाएंगे. अगर आप यात्रा पर नहीं भी जा रहे हैं तो हमारे साथ जुडें रहें ताकि हमारे वीडियो और चित्रों की सहायता से आप भगवान अमरनाथ और पवित्र शिवलिंग के दर्शन कर सकें.
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